घुंघट के पट जब साजन खोलते हैं,
ये घुंघट नहीं दिल की दरवाजा है,
सैंया सखी घर से आंगन है मेरे,
ये दिल में बसी दिल की दरवाजा है।
देश भक्ति से ओत प्रोत कविताओं का संग्रह जोकि मेरे द्वारा लिखीं गई है आपको प्रतिदिन एक नई कविता इस ब्लॉग्स में मिलेगी। ✍️ प्रेम प्रकाश पाण्डेय
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