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झाड़ू

झाड़ू आदर्श है मानव पर,
यह जहां से चलती है,
स्वच्छता लिए चलती है,
गंदगी नहीं करती है,
फिर भी सफाई करती है,
झाड़ू आदर्श है मानव पर।

मनुष्य की तुलना झाड़ू से की,
तो ऐसा हमने पाया है,
मनुष्य है कामचोर पर झाड़ू है कर्मठ,
मनुष्य है लालची और झाड़ू है निस्वार्थी,
मनुष्य है उदंड पर झाड़ू है विनम्र,
मनुष्य फैलाते गंदगी, झाड़ू करते हैं सफाई।

ऐसा उदाहरण आनेको है,
मनुष्य के चरितार्थ पर,
पर झाड़ू से सीखो ये मानव,,
स्वच्छता, सहयोगता, विनम्रता,
त्याग के भाव को,
झाड़ू आदर्श है मानव पर।

एक ऐसी व्यथा सुनाऊंगा,
सुनकर हर मनुष्य चक्करायेगा,
गुस्से से लाल हो जाएगा,
आंखें भी दिखलायेगा
फिर सुन लो सत्य है बाड़ी ये,
गंदगी के हो उत्पादक,
भावना तुम्हारी है गंदी,
फैलाते हो सर्वत्र गंदगी,
कविता का सारांश है ये,
झाड़ू से सीखो, कर लो सफाई,
कर लो सफाई, कर लो सफाई
झाड़ू आदर्श है मानव पर।।




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