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सागर में नाव

ज़िंदगी है अति कठिन,
संघर्ष हमारा जारी है,
ताल तलैया तैर चुका हूं,
पतवार चलाना बाकी है,
सागर मे अभी नाव चलाना बाकी है।

हिम्मत तो हमने भी की है,
तूफानों से लड़ गुजरने की,
किस्ती हमारी बन चुकी है,
पतवार बनाना बाकी है,
सागर मे अभी नाव चलाना बाकी है।


छोटी कद हैं,
छोटी है अभिलाषा,
रण में जब शोर मच चुकी है,
तलवार चलाना बाकी है,
सागर में अभी नाव चलाना बाकी है।

हम नहीं चाहते युद्ध मगर,
है कमान  हमारे हाथों में,
जब रणभेरी बज चुका है,
निशान लगाना बाकी है,
सागर मे अभी नाव चलाना बाकी है।

                           प्रेम प्रकाश पाण्डेय
                            






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