इस बार होली नहीं मनाएंगे,
है गम हमको उन सैनिकों का,
है गम हमको देश वीरों का,
शहीद हुए उन हीरो का,
हमें गम है मातृभूमि पर जान गवाए,
पुलवामा की वीर सपूतों का,
उनकी याद हमें दिन रात सताए,
फिर हम कैसे इस बार होली मनाएं।।
होली के त्योहार है खुशी का,
पर जिस घर का एक दीपक बुझ जाए,
बच्चे जिसका अनाथ हो जाए,
बूढ़ी मां का चश्मा टूट जाए,
भरी जवानी में जिसका सैया छूट जाए,
जो बिलखती अपनी जीवन बिताएं,
उसे देख हम कैसे इस बार होली मनाएं।।
होली है त्यौहार भाईचारे का,
एक साथ बैठ खुशी मनाने का,
पर जिसकी भाई खो जाए,
खुशियां जिसकी आंखों तक रह जाए,
छोटी जिंदगी पहाड़ बन जाए,
सत्यता से विश्वास उठ जाए,
जिनके घर मातम छा जाए,
बोलो इस बार हम कैसे होली मनाए।।
मां को याद है उस बेटे का,
जो सुबह उठ खूब रोया था,
खाने के लिए खूब झगड़ा था,
कैसे उसने चलना सीखा,
कैसे बोलना मामा सीखा था,
पर उस मां की गोद सूना हो जाए,
हम उन्हें देख इस बार कैसे होली मनाएं।।
जब पापा ड्यूटी गए थे,
छोटे बच्चे जाते देखा था,
कोमल ह्रदय उस बच्चे का,
रोते रोते ह्रदय सुख जाए,
उस बच्चे को देख बोल कैसे,
इस बार हम होली मनाएं।।
गांव से जाते वक्त मिला था,
ताऊ चाचा से जाते कहा था,
आऊंगा शादी में मुनिया के,
पर वह शादी अधूरी रह जाए,
उसे देख इस बार हम कैसे होली मनाएं।।
मेरी होली इस बार होगी कुर्बान,
हमसे ना मनेगी इस बार की होली,
जब लिखते लिखते आंखों से,
दर्द छलक जाए,
बोलो हम इस बार कैसे होली मनाए।।
✍️प्रेम प्रकाश पाण्डेय
94693 94375
है गम हमको उन सैनिकों का,
है गम हमको देश वीरों का,
शहीद हुए उन हीरो का,
हमें गम है मातृभूमि पर जान गवाए,
पुलवामा की वीर सपूतों का,
उनकी याद हमें दिन रात सताए,
फिर हम कैसे इस बार होली मनाएं।।
होली के त्योहार है खुशी का,
पर जिस घर का एक दीपक बुझ जाए,
बच्चे जिसका अनाथ हो जाए,
बूढ़ी मां का चश्मा टूट जाए,
भरी जवानी में जिसका सैया छूट जाए,
जो बिलखती अपनी जीवन बिताएं,
उसे देख हम कैसे इस बार होली मनाएं।।
होली है त्यौहार भाईचारे का,
एक साथ बैठ खुशी मनाने का,
पर जिसकी भाई खो जाए,
खुशियां जिसकी आंखों तक रह जाए,
छोटी जिंदगी पहाड़ बन जाए,
सत्यता से विश्वास उठ जाए,
जिनके घर मातम छा जाए,
बोलो इस बार हम कैसे होली मनाए।।
मां को याद है उस बेटे का,
जो सुबह उठ खूब रोया था,
खाने के लिए खूब झगड़ा था,
कैसे उसने चलना सीखा,
कैसे बोलना मामा सीखा था,
पर उस मां की गोद सूना हो जाए,
हम उन्हें देख इस बार कैसे होली मनाएं।।
जब पापा ड्यूटी गए थे,
छोटे बच्चे जाते देखा था,
कोमल ह्रदय उस बच्चे का,
रोते रोते ह्रदय सुख जाए,
उस बच्चे को देख बोल कैसे,
इस बार हम होली मनाएं।।
गांव से जाते वक्त मिला था,
ताऊ चाचा से जाते कहा था,
आऊंगा शादी में मुनिया के,
पर वह शादी अधूरी रह जाए,
उसे देख इस बार हम कैसे होली मनाएं।।
मेरी होली इस बार होगी कुर्बान,
हमसे ना मनेगी इस बार की होली,
जब लिखते लिखते आंखों से,
दर्द छलक जाए,
बोलो हम इस बार कैसे होली मनाए।।
✍️प्रेम प्रकाश पाण्डेय
94693 94375
Super
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