सैनिक-
चांद की तुम चांदनी रात मेरी
बादलों से बरसती अमृत बरसात मेरी
सूर्य की रोशनी पथ प्रदर्शक मेरी
तुम कंचित जीवन की सांस मेरी,
तुम हो रातों की एहसास मेरी,
तुम हो जीवन की अविरल विश्वास मेरी,
चलती है दुनिया बस मेरी
यू समझो तुम हो जीवन की आस मेरी।।
पत्नी-
सैया तुम बिन नींद ना आए
रातों में जैसे मृग भटक जाए,
तुम बिन एक पल रहा न जाए,
तेरी खुशबू बस हवा से आए,
बादल में भी तेरी सूरत नजर आए,
बस बस करो सैया तुम बिन नींद ना आए,
सैनिक-
देखो सनम हमको तो देखो
देखो याद आ रही तेरी चोटी,
देखो याद आ रही खुशबू,
जिसको हमने हवा से ली थी,
बस तुम तो हो जीवन मेरी,
देखो सनम जरा हमको देखो।
पत्नी-
खाने के वक्त जो हुई शरारत,
हमको तो बस वो याद सताए,
सोते हुए बस जग जाती हूं,
जब याद कहानी पुरानी आए,
बस सैया अब देर ना करो,
देखो तेरी खुशबू कैसे हवा से आए।
सैनिक-
जब तेरी चुनरी हवा में उड़ी,
याद करो वह दिन रंगोली,
जिस दिन हम तुम बातें की थी,
याद करो कनक ठिठोली,
जब हम तुम साथ आए थे,
एक साथ मिल खाना खाये थे,
बस याद आती है तेरी हमजोली।।
पत्नी-
सैया घर अब सूना लागे
तुम बिन अब तो नींद ना लागे,
खाना खाये कौन अकेले,
सैया याद करो जब हम सड़क खेलें
आ जाओ देखो अब तो रहा न जाए,
सैनिक-
देखो हमको भी एक याद आती है
जब तुम हम मिल चाट खाये थे,
जब चेहरा तेरी लाल हुई थी,
कड़वाहट में मीठी जाम खाएं थे।
याद करो पानी की बातें
पीते हुए जब भाग जाते थे,
हमको ही तो अब याद सताए,
देखो तुम बिन रहा न जाए।
पत्नी-
याद आती है उस बागो की बातें,
जब हम तुम वहां थे जाते ,
कैसे करते थे मीठी बातें,
याद करो वह चांदनी रातें,
जब हम दोनों साथ आए थे
कंचन सा माहौल बने थे,
सैनिक-
हमको भी है याद सनम वो,
मुलाकाते चांदनी रात की थी वो,
जब हम दोनों साथ गए थे,
तेरी दुपट्टा जब गिर गई थी,
बस याद करो उस दिन की मुलाकातें,
देखो सनम अब हम को देखो,
तुम बिन हमसे रहा न जाए।
प्रेम प्रकाश पांडेय
94693 94375
नोट-यह कविता अभी अधूरी है इसके आगे की पंक्ति जल्द ही अपडेट की जाएगी।
चांद की तुम चांदनी रात मेरी
बादलों से बरसती अमृत बरसात मेरी
सूर्य की रोशनी पथ प्रदर्शक मेरी
तुम कंचित जीवन की सांस मेरी,
तुम हो रातों की एहसास मेरी,
तुम हो जीवन की अविरल विश्वास मेरी,
चलती है दुनिया बस मेरी
यू समझो तुम हो जीवन की आस मेरी।।
पत्नी-
सैया तुम बिन नींद ना आए
रातों में जैसे मृग भटक जाए,
तुम बिन एक पल रहा न जाए,
तेरी खुशबू बस हवा से आए,
बादल में भी तेरी सूरत नजर आए,
बस बस करो सैया तुम बिन नींद ना आए,
सैनिक-
देखो सनम हमको तो देखो
देखो याद आ रही तेरी चोटी,
देखो याद आ रही खुशबू,
जिसको हमने हवा से ली थी,
बस तुम तो हो जीवन मेरी,
देखो सनम जरा हमको देखो।
पत्नी-
खाने के वक्त जो हुई शरारत,
हमको तो बस वो याद सताए,
सोते हुए बस जग जाती हूं,
जब याद कहानी पुरानी आए,
बस सैया अब देर ना करो,
देखो तेरी खुशबू कैसे हवा से आए।
सैनिक-
जब तेरी चुनरी हवा में उड़ी,
याद करो वह दिन रंगोली,
जिस दिन हम तुम बातें की थी,
याद करो कनक ठिठोली,
जब हम तुम साथ आए थे,
एक साथ मिल खाना खाये थे,
बस याद आती है तेरी हमजोली।।
पत्नी-
सैया घर अब सूना लागे
तुम बिन अब तो नींद ना लागे,
खाना खाये कौन अकेले,
सैया याद करो जब हम सड़क खेलें
आ जाओ देखो अब तो रहा न जाए,
सैनिक-
देखो हमको भी एक याद आती है
जब तुम हम मिल चाट खाये थे,
जब चेहरा तेरी लाल हुई थी,
कड़वाहट में मीठी जाम खाएं थे।
याद करो पानी की बातें
पीते हुए जब भाग जाते थे,
हमको ही तो अब याद सताए,
देखो तुम बिन रहा न जाए।
पत्नी-
याद आती है उस बागो की बातें,
जब हम तुम वहां थे जाते ,
कैसे करते थे मीठी बातें,
याद करो वह चांदनी रातें,
जब हम दोनों साथ आए थे
कंचन सा माहौल बने थे,
सैनिक-
हमको भी है याद सनम वो,
मुलाकाते चांदनी रात की थी वो,
जब हम दोनों साथ गए थे,
तेरी दुपट्टा जब गिर गई थी,
बस याद करो उस दिन की मुलाकातें,
देखो सनम अब हम को देखो,
तुम बिन हमसे रहा न जाए।
प्रेम प्रकाश पांडेय
94693 94375
नोट-यह कविता अभी अधूरी है इसके आगे की पंक्ति जल्द ही अपडेट की जाएगी।
मन प्रसन्न हो गया सर
ReplyDeleteवाह क्या बात है सर
ReplyDelete