मत रोक मुझे इस पार
सरहद पार जाने दो।
थामे हाथों मे जो तिरंगा,
कराची इस्लामाबाद
लाहौर में लहराने दो।
मत रोक मुझे इस पार
सरहद पार जाने दो।।
थामें हाथों में जो कफन है
उसे दुश्मन को पहनाने दो
देश की गरिमा मई इतिहास को
अपने हाथ से सजाने दो
मत रोक मुझे इस पार
सरहद पार जाने दो।
देश की है स्वर्णिम इतिहास
अंक उसमें और जोड़ जाने दो
65 ,71 ,99 के बाद
एक और अध्याय लिख जाने दो।
मत रोक मुझे इस पार
सरहद पार जाने दो।।।
प्रेम प्रकाश पाण्डेय
सरहद पार जाने दो।
थामे हाथों मे जो तिरंगा,
कराची इस्लामाबाद
लाहौर में लहराने दो।
मत रोक मुझे इस पार
सरहद पार जाने दो।।
थामें हाथों में जो कफन है
उसे दुश्मन को पहनाने दो
देश की गरिमा मई इतिहास को
अपने हाथ से सजाने दो
मत रोक मुझे इस पार
सरहद पार जाने दो।
देश की है स्वर्णिम इतिहास
अंक उसमें और जोड़ जाने दो
65 ,71 ,99 के बाद
एक और अध्याय लिख जाने दो।
मत रोक मुझे इस पार
सरहद पार जाने दो।।।
प्रेम प्रकाश पाण्डेय
Very nice pandey ji
ReplyDeleteThanking you
DeleteNice ppp
ReplyDeleteThanks for good reason
DeleteAti sunder
ReplyDeleteThanks
DeleteVry nyc
ReplyDeleteExcellent ..work
ReplyDelete