सफर में कल भी था, सफर में आज भी है, सफर में कल रहूंगा, सोचता हूं। मित्र मिले हजारों, सबसे सुंदर मैं रहूंगा, सोचता हूं सफर में कल भी था आज रहूंगा, सोचता हूं। उनसे भी मिला था, आज आप मिले, कल कौन मिलेगा, सोचता हूं। सफर में कल भी था, आज रहूंगा, सोचता हूं। है अजीब विचार मेरा, पसंद हो सबकी, अपने आप को, कोसता हूं। सफर में कल भी था, आज रहूंगा, सोचता हूं। प्रेम प्रकाश पाण्डेय
देश भक्ति से ओत प्रोत कविताओं का संग्रह जोकि मेरे द्वारा लिखीं गई है आपको प्रतिदिन एक नई कविता इस ब्लॉग्स में मिलेगी। ✍️ प्रेम प्रकाश पाण्डेय