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Showing posts from July, 2020

कब हवा बना मैं

कब हवा बना मैं, दुनिया दिखा रहा मैं, सब कुछ उठा रहा मैं, अच्छे की अच्छाइयां, बुरो की बुराइयां, सबको बता रहा मैं, कब हवा बना मैं। घूमता मैं, ढूंढता मैं, सबको दिल को ,सहेजता मैं, कभी नीचे, कभी ऊपर, कभी चोटी, कभी समंदर, सबसे गले, मिला मैं, सोचता हूं, हूं कहां मैं, कब हवा बना मैं। फूल बनकर, बाग बनकर, माली बन, सिंचता मैं, छोटी बड़ी ,हर शहर छोटा बड़ा हर घर में खुशबू सुगंधित खोजता मैं, कब हवा बना मैं। एक शहर से, दो शहर से, हर जगह पर घुमता मैं, अच्छे बुरे सब साथ चले, हर जगह को चूमता मैं, कब हवा बना मैं। राम तेरी अविरल माया, सब को छूता, सब की छाया, सद्गुणों की सुंदर माया, अवगुणो की अद्भुत माया हर जगह पर लूटता मैं, कब हवा बना मैं।।                        प्रेम प्रकाश पाण्डेय                        9469394375