मन किया है अब, रावण का सैनिक बन जाऊं, रहु शान से, जीऊं शान से, दुश्मन से दो हाथ कर जाऊ, मन किया है अब, रावण का सैनिक बन जाऊं।। अधर्म बढ़ा जब पृथ्वी पर, तो कैसे चुप रह जाऊं, श्रीराम फिर से जन्में,जब, रावण का सैनिक बन जाऊं।। धर्म से अधर्म बड़ा हो अत्यचार अन्याय बढ़ा हो दुष्टों का संसार बड़ा हो श्रीराम देख मोन खड़े हो, तब इश्वर से दो हाथ कर जाऊं। मन किया है अब , रावण का सैनिक बन जाऊं।। इतिहास में वही सब होता है, हो जो कमजोर वह रोता है, खड़ग कृपाण हाथ में रखूं, जब समय आए तो लड़ जाऊं। मन किया है अब, रावण का सैनिक बन जाऊं। ✍️ प्रेम प्रकाश पाण्डेय
देश भक्ति से ओत प्रोत कविताओं का संग्रह जोकि मेरे द्वारा लिखीं गई है आपको प्रतिदिन एक नई कविता इस ब्लॉग्स में मिलेगी। ✍️ प्रेम प्रकाश पाण्डेय