Skip to main content

Posts

Showing posts from October, 2019

बदलते मनुष्य

कैसा अपना रूप बदल दी, कैसा अपना रंग बदल दी। फूल मुरझाए जिस चेहरे पर, कैसा उसमे शहद कण भर दी। है जीवन सबकी एक, समझो थोड़ा बातें नेक। रंग बदलना ,ढंग बदलना, समझो छोड़ो बातें अनेक। है मनुष्य हम सब एक, मिलजुल कर रहलो एक। नहीं जीवन में कुछ भी काफी, सब्र करो है जीवन बाकी। करो मन की अपने अंदर, जो लगे सब जग को सुंदर। जग में न आए ऐसी व्याधि, काम करो ना आए आंधी। सबके साथ मिलजुल कर रह लो, मनुष्य हो, मनुष्य से थोड़ा प्यार कर लो।                               प्रेम प्रकाश पाण्डेय