कैसा अपना रूप बदल दी, कैसा अपना रंग बदल दी। फूल मुरझाए जिस चेहरे पर, कैसा उसमे शहद कण भर दी। है जीवन सबकी एक, समझो थोड़ा बातें नेक। रंग बदलना ,ढंग बदलना, समझो छोड़ो बातें अनेक। है मनुष्य हम सब एक, मिलजुल कर रहलो एक। नहीं जीवन में कुछ भी काफी, सब्र करो है जीवन बाकी। करो मन की अपने अंदर, जो लगे सब जग को सुंदर। जग में न आए ऐसी व्याधि, काम करो ना आए आंधी। सबके साथ मिलजुल कर रह लो, मनुष्य हो, मनुष्य से थोड़ा प्यार कर लो। प्रेम प्रकाश पाण्डेय
देश भक्ति से ओत प्रोत कविताओं का संग्रह जोकि मेरे द्वारा लिखीं गई है आपको प्रतिदिन एक नई कविता इस ब्लॉग्स में मिलेगी। ✍️ प्रेम प्रकाश पाण्डेय