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Showing posts from April, 2019

बिहार का इतिहास

                            1 बिहार का इतिहास देख लो ,                             गौरवशाली वैभवशाली है, गंगा की घाटी में स्थित,                             राज्य बिहार निराली है, ज्ञान धर्म अध्यात्म सभ्यता की किरणों से,                             संसार भी अलौकित है, बिहार का इतिहास देख लो,                             गौरवशाली वैभवशाली है।                                                          2 पटना गया मुंगेर की साक्ष्य,                 ...

नेक इंसान

तुम बड़े भोले भाले हो, अच्छे हो सीधे साधे हो, मस्त हो अपने कार्य में, नहीं कभी तुम सोचते हो, बस कर्म ही किया करते हो, लाभ हानि के तरफ, तुम देखा नहीं करते हो, मानवता की तुम परचम हो, सिर्फ अच्छे काम ही करते हो, इनकी उनकी बात नहीं करते, कर्म तुम्हारी नारा है, अच्छा हो अच्छा रहोगे, आखिर तुम नेक इंसान हो।।                       प्रेम प्रकाश पाण्डेय                        

मनुष्यता

मनुष्य को मनुष्यता पर गौर होना चाहिए, मनुष्यता को सब समझे वो दौर होना चाहिए, गरीब अमीर में अंतर ना हो, आदमी से आदमी को बैर ना हो, चोरी बेईमानी दुश्मनी का स्थान ना हो, संतोष से रहे सब असंतोष की भाव ना हो, अन्य जीवन से है कुछ अंतर, सोचने समझने व्यक्त करने जैसे, अनमोल गुणों पर भी कुछ और होना चाहिए, मनुष्यता को सब समझा वह दौर ना चाहिए, मनुष्य को मनुष्यता पर गौर होना चाहिए ‌।।।                                 प्रेम प्रकाश पाण्डेय                                 94693 94375

दीपक

ये दीपक मुझे देख क्यों जलता है, मैं भी तो एक इंसान हूं, मेरा काम है परोपकार, पूजा-पाठ तो धर्म हमारी, सेवा करना है संस्कार, जलता हूं मैं बिन बाधा के, तुमको ना हो कोई अपकार, ये दीपक मुझे देख क्यों जलता है। मालूम है  मुझको तुम हो नादान, जलना तो तुम्हारी आदत है, तुम जलना है तो जलो जैसे, वो देता जैसे है प्रकाश, मैं नाम नहीं बताऊंगा, सुबह से शाम दिखलाऊंगा, अब तो समझ लो ये दीपक, जलने से तुम्हें क्या मिलता है, ये दीपक मुझे देख क्यों जलता है। सूरज से सीखो चांद से, एक तप कर देता है प्रकाश, एक देता चांदनी सी खूबसूरत रात, दोनों की भाव है नि:स्वार्थ, ये कभी नहीं कुछ कहते हैं, सिर्फ परोपकार ही करते हैं, तुम भी इन्हीं से सीखो ना, इंसानों का तुम बनो मिसाल, जलने से ना होगा कोई लाभ, केवल करते हो समय बर्बाद ये दीपक मुझे देख तो जलता है, अंत में,      ये दीपक मुझसे कुछ कहता है जलना तो तुम्हारी आदत है, तुम दूसरे को देख कर जलते हो, निज स्वार्थ में हमेशा रहते हो, तुम मुझे देख कर जलते हो, इससे ना होता कोई लाभ, तुम मेरी तरह ही जलो ना, फैलेगा तुम्हारा यस ...

अन्यथा

उठ रही हवा अन्याथा उस जलती ज्वाला से ऊब चुका हूं मैं अब उस बहती जल धारा से, चल रहा हुं मैं अन्यथा पैरों में पड़ी उस छाले से हार चुका हूं मैं अब उस जलते सूर्य की ज्वाले से, कोशिश करता मैं अन्यथा कटी पतंग की उस धागे से थक चुका हूं मैं अब सुबह की बुझती उस तारो से, हर डगर पर पैर कपे, उस अंधेरी रातों से डर चुका हूं मैं अब हर वक्त हो रहे उस बातों से।।                                             प्रेम प्रकाश पाण्डेय                   94693 94375

घुट-घुट कर जीना

माहौल देखकर चल रहा हूं, मैं दुनिया से डर रहा हूं, हर तरफ खामोश दुनिया, उस खामोशी से डर रहा हूं, हर इंसान की चेहरा दो है, हर चेहरे से  जल रहा हूं, हर तरफ है गंदी सोच, उसी  सोच  में पल रहा हूं, भावना नही है अपनों की, मैं अपनों से ही जल रहा हूं, मीठी बातें सब करते हैं, मैं मीठे जहर पी रहा हूं, दिन कैसे गुजर रही है, उस दिन से भी डर रहा हूं, गैरों की तो बात नहीं है, अपनों को देख जल रहा हूं, दिन-रात हम एक करते हैं, अब घर में भी डर रहा हूं, देखो कैसी माहौल बनी है हम सब घुट घुट जी रहे हैं।                     प्रेम प्रकाश पाण्डेय                     9469 3 9437 5

मन की बात सैनिक का

है प्रतिकूल मौसम अब तो, मौका दो हमको इस बार, पूरा विश्व है साथ हमारे फिर भरने दो हमको ललकार, करने दो गोली की बौछार। देखो हमारी ताकत को, किया हमने शक्ति प्रदर्शन , पूरा विश्व यह जाना है, फिर जाने  दो उस पार, करने दो गोली की बौछार। दुष्ट तो दुष्ट होता है हमेशा घात करता है, कैसे हम चुप रह जाएं, फिर कह दो हमें एक बार करने दो गोली की बौछार। जब दुष्ट पड़ोसी होता है, अमन चैन सब खोता है युद्ध निर्णायक होता है, फिर क्यों चुप रहे इस बार, करने दो प्रलय कारी बौछार, वह रोज युद्ध विराम तोड़ता है, सोए शेर का नींद तोड़ता है, हम कब तक ऐसे चुप रहेंगे सहने की सीमा हुई पार बस करने दो फिर से बौछार, ऐसा रहा हमारा इतिहास, जो विश्व से कभी न हारा है, सर्वत्र ध्वज लहराया है, फिर क्यों रोके हमें इस बार, कह दो फिर से करें गोली की बौछार।।                                 प्रेम प्रकाश पाण्डेय                             ...