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Showing posts from March, 2019

अफसोस

चलो अब तरीका बदलते हैं, सफलता मिलने वाली है, सोने का समय बदलते है, पहले से  ज्यादा सोते हैं, सफलता मिलने वाली है , चलो तरीका बदलते हैं।। जो धरती पर जन्म लिया है, जिसको ईश्वर ने भेज दिया है, जिसने कुछ भी कर्म किया है नतीजा मिलने वाली है चलो तरीका बदलते हैं, सफलता मिलने वाली है। अब  मिली सफलता है, जितना मेहनत किया है, उसका फल मिलने वाला है अब तक जो प्राप्त किया है, सफलता मिलने वाली है चलो तरीका बदलते हैं। सोकर के जब तक जगेंगे, समय के साथ चलेंगे, आने वाला कल, जाने लगा है, चलो कुछ और करते हैं, सफलता मिलने वाली है, चलो तरीका बदलते हैं।। जिंदगी का जंग हारे हैं, जीने का ढंग हारे हैं, चलो अपने आप बदलते हैं, सफलता मिलने वाली है, तरीका बदलते हैं।।              प्रेम प्रकाश पाण्डेय              94693 94375

देश भक्ति

देश के खिलाफ जो उठ रही आवाज है, यह नहीं देश की आवाज है, इसमें तो लगता कोई छुपा राज है, कुछ लोग देश भक्ति का है चोला पहने, और स्वार्थ से भरे हैं मन उनके।। देश के सैनिक हम हैं ठेका देश का मत लो तुम, तुम नहीं सुधरे तो सुधार बाबू, सुधार गृह में कर देंगे तुमको, इतिहास देख लो तुम सैनिक का, वह देश के है कर्णधार,  ये तो देश सेवा करते हैं, उनको भूख नहीं कुछ और, इनका जीवन है कुर्बान देश पर, सत्ता भूख तो तुझे लगी है, फैलाते हो तुम मतभेद, है तुमसे मेरा अनुरोध, बस तुम अपना तो रोटी सेको, मत करो देशभक्ति ऐसी, जिससे हो देश का नुकसान।।                        प्रेम प्रकाश पाण्डेय                         

गांव का परिवेश

देखो आपस में सहमति है, जीते हैं हम सब मिलकर एक, जैसे माला गुथ धागे में एक, हम सब एक दर्द को सहते हैं, एक दूसरे के लिए  जीते हैं, मिलजुल कर कैसे रहते हैं, गांवों की है परंपरा, हम कैसे रहते हैं एक, गांवो का है  कैसा परिवेश।। शहरों की तो बात न पूछो, घर में कौन है ,पड़ोस में कौन है, कौन खाता है, कौन भूखे रहता, इसकी  चिंता कौन करे, गावों की है अजब बनावट, हम कैसे भूखे सो जाएं, जब पड़ोसी खाना ना खाए, हम मिलजुल कर है एक, गांव का है कैसा परिवेश।। सुबह शाम चौपाल लगाते, मिलजुल कर सब बातें करते, दूसरे के दुख को समझते, हर समस्या का होता समाधान, शहरों में यह नहीं है दिखती, मशीन से जीवन है चलती, यहां  मानव नहीं  है, मानव का है अवशेष, गांव का है कैसा परिवेश ‌।। शहरों की तो माया निराले सब मिलकर ऐसा कर डाले, समूह ऐसा विकसित कर डाले, जंगल की तरह समाज बना डाले, सब में हैं लक्षण चौपया, अंतर नहीं कोई विशेष गांव का है कैसा परिवेश।।।                        प्रेम प्रकाश पाण्डेय   ...

गांव

मुझे याद है उस बचपन की, मुझे याद है उस सड़क की, मुझे याद है उस बचपन की, मुझे याद है उस चौपालों की, मुझे याद है कैसे हम करते थे बातें, मुझे याद है वह चांदनी रातें, मुझे याद है उस बागो की मुलाकातें, मुझे याद है कैसे करते थे दोस्तों से बातें, है गांवो की जिंदगी निराली, खुशीओ से भरा हर जगह, एकता का मिसाल है भरा, देखो आज खाते हैं चाचा के घर, कल ताऊ के घर खाने है जाना, गांव के लोग होते  सीधे-साधे, दिल से होते हैं मतवाले, मतलब नहीं बैर करने का, मिलते  सब एक दूसरे से रहते एक साथ दूसरे का, काका के घर जब हुई थी शादी, गांव भर  है खुशियां मनाई, सब ने मिलकर खूब मौज मनाई, हाथों हाथ सब काम हो जाए, देखो कैसे ईश्वर ने गांव बनाई, शहरों में है द्वेष भरा जालते कैसे देख भला, नफरत भर कर रहते मन में, यह है शहरों की परिवेश भला, गांव में हम सब मिलकर रहते, सुख दुख सब मिलकर सहते, इसलिए तो हम गांव में रहते।।                           प्रेम प्रकाश पाण्डेय             ...

मेरी बेटी

घर की घनघोर घटाओं में, चंचल मस्त हवाओं में, बहती गंगा की धाराओं में, कैसे कलरव करती मेरी बेटी, कितना मृदुल लगती मेरी बेटी। चंचल है मन चितवत है मन, रंगीली मौसम की उपवन है मन, चहकती चिड़ियों की चंचनाहट है मन, गिरती झरना की झनझनाहट है मेरी बेटी, कितना मधुर बोलती मेरी बेटी। बोलती जैसे कोयल बोले, चलती जैसे हवा भी डोले, हलचल  जैसे घर की हर कोने बोले, घर की अलग पहचान मेरी बेटी, कितना खुशी लगती मेरी बेटी। नाचते  मोर की पंख जैसे, खिलते फूलों की रंग जैसे, बसंत के खिलती धूप जैसे उगते सूरज की रोशनी है मेरी बेटी, कितना सुंदर लगती मेरी बेटी।                       ✍️प्रेम प्रकाश पाण्डेय                             

आवाज अंतरात्मा की

देश की हालात देख, आंखें हमारी भर गई, आत्मरक्षा में किए काम पर, एफ आई आर दर्ज हो गई। सैनिक तेरी यह दशा देखकर, चांद सूरज भी रोया है, तेरी इस अपमान उसे तो, भारत माता भी रोई है, मगर देश के गद्दारों ने, तेरे खिलाफ आवाज किया, हम हैं सैनिक हम सैनिक का, सम्मान करेंगे, देश की रक्षा में उठाएं , हर कदम मे साथ चलेंगे, भारत माता की रक्षा हमारा धर्म है, देश हित में जो होगा हम वही काम करेंगे। यह सैनिक तेरी इस कदम पर, जब होती पुरस्कारों की बारिश, तब देश के गद्दारों का, हिम्मत ध्वस्त हो जाती, फिर कभी ना ऐसी हरकत, हिम्मत करने की होती, पर सैनिक होते गरीब, हमारे पीछे कौन आएगा, सोने की चम्मच रखने वाले देश के गद्दार सब, जरूर जरूर एफ आई आर दर्ज कर जाएगा।                    ✍️प्रेम प्रकाश पाण्डेय                         94693 94375

सैनिक का फरमान

कह दो उन गद्दारों को, नजरों से दूर दूर हो जाए, देश देशभक्त हूं मैं, ज्वाला है मेरे अंदर देशभक्ति का, कहीं ऐसा ना हो जाए, मेरा हाथ उनके पर ना उठ जाए।। कह दो उन नमक हरामो को, रहे दूर  वह हमसे हमेशा, मैं धधकती आग हूं, कह दो उनसे कहीं ऐसा ना हो जाए, कर दे जलाकर खाक उसे।। कह दो उन विषधर सांपों को, देश में रहने वाले नागों को, दूर रहे मेरे नजरों से, मैं उफनते सागर हूं, कहीं ऐसा ना हो जाए, मैं उनको अपने में बहा जाएं। कह दो उन काला नागो को, जिनको है संदेह अपने बापो पर, है महाराणा का खून हममें, देश भक्त हूं मैं इस देश का, कहीं ऐसा ना हो जाए, तेरा नींद हराम ना कर  जाएं।। कह दो उन जयचंद को, जो इस देश में रहते हैं, खाते हैं इस देश की रोटी, और देश से गद्दारी करते हैं कह दो  नजरों दूर हो जाए, कही ऐसा ना हो जाए उनके लहू से हम स्नान ना कर जाएं।। है बापू तो मेरा प्रतिबिंब, हम अहिंसा जानते हैं, हम अहिंसा के पुजारी,  विश्व भी यह मानता हैं, पर कह दो उनको, वह दूर रहे मेरे नजरों से, क्योंकि हम भगत सिंह के वंशज हैं।।।         ...

देश का जवान

वह जो जा रहा है, देश का जवान है, सर पर कफन हर वक्त जिसके, वह भारत का शान है वह जो जा रहा है , देश का जवान है।। जब चलता है वह, हवा को चीरता, धरती करती डगमग, बादल करती गर्जन, वह भारत का आन है, वह जो जा रहा है, देश का जवान है।। बादल जिस को गले लगाएं, खुशबू जिसकी हवा फैलाएं, सर्वत्र यश गुणगान है वह जो जा रहा है, देश का जवान है। मां भारती जिनको तिलक लगाए, हवा जिनको गले लगाए, सूर्य तेज सा ललाट है, वह जो जा रहा है, देश का जवान है।। कर्म से कर्मठता है, लक्ष्य से अविचलितता है, पर्वत पीछे हट जाता है सर्वत्र देश की ढाल है, वह जो जा रहा है, देश का जवान है।।                 प्रेम प्रकाश पाण्डेय                 9 4 693 94 375

होली कैसे मनाए

इस बार होली नहीं मनाएंगे, है गम हमको उन सैनिकों का, है गम हमको देश वीरों का, शहीद हुए उन हीरो का, हमें गम है मातृभूमि पर जान गवाए, पुलवामा की वीर सपूतों का, उनकी याद हमें दिन रात सताए, फिर हम कैसे इस बार होली मनाएं।। होली के त्योहार है खुशी का, पर जिस घर का एक दीपक बुझ जाए, बच्चे जिसका अनाथ हो जाए, बूढ़ी मां का चश्मा टूट जाए, भरी जवानी में जिसका सैया छूट जाए, जो बिलखती अपनी जीवन बिताएं, उसे देख हम कैसे इस बार होली मनाएं।। होली है त्यौहार भाईचारे का, एक साथ बैठ खुशी मनाने का, पर जिसकी भाई खो जाए, खुशियां जिसकी आंखों तक रह जाए, छोटी जिंदगी पहाड़ बन जाए, सत्यता से विश्वास उठ जाए, जिनके घर मातम छा जाए, बोलो इस बार हम कैसे होली मनाए।। मां को याद है उस बेटे का, जो सुबह उठ खूब रोया था, खाने के लिए खूब झगड़ा था, कैसे उसने चलना सीखा, कैसे बोलना मामा सीखा था, पर उस मां की गोद सूना हो जाए, हम उन्हें देख इस बार कैसे होली मनाएं।। जब पापा ड्यूटी गए थे, छोटे बच्चे जाते देखा था, कोमल ह्रदय उस बच्चे का, रोते रोते ह्रदय सुख जाए, उस बच्चे को देख बोल कैसे, इस बार हम...

वार्तालाप सैनिक और उसकी पत्नी का

सैनिक-  चांद की तुम चांदनी रात मेरी बादलों से बरसती अमृत बरसात मेरी सूर्य की रोशनी पथ प्रदर्शक मेरी तुम कंचित जीवन  की सांस मेरी, तुम हो रातों की एहसास मेरी, तुम हो जीवन की अविरल विश्वास मेरी, चलती है दुनिया बस मेरी यू समझो तुम हो जीवन की आस मेरी।। पत्नी- सैया तुम बिन नींद ना आए रातों में जैसे मृग भटक जाए, तुम बिन एक पल रहा न जाए, तेरी खुशबू बस हवा से आए, बादल में भी तेरी सूरत नजर आए, बस बस करो सैया तुम बिन नींद ना आए, सैनिक- देखो सनम हमको तो देखो देखो याद आ रही तेरी चोटी, देखो याद आ रही खुशबू, जिसको हमने हवा से ली थी, बस तुम तो हो जीवन मेरी, देखो सनम जरा हमको देखो। पत्नी- खाने के वक्त जो हुई शरारत, हमको तो बस वो याद सताए, सोते हुए बस जग जाती हूं, जब याद कहानी पुरानी आए, बस सैया अब देर ना करो, देखो तेरी खुशबू कैसे हवा से आए। सैनिक- जब तेरी चुनरी हवा में उड़ी, याद करो वह दिन रंगोली, जिस दिन हम तुम बातें की थी, याद करो कनक ठिठोली, जब हम तुम साथ आए थे, एक साथ मिल खाना खाये थे, बस याद आती है तेरी हमजोली।। पत्नी- सैया घर अब सूना लागे तु...

उठो जवानों

उठो जवानों बहुत हो चुका, देते देते हर वक्त प्रमाण, अब तो हमें भी चाहिए , उनकी कार्यों का प्रमाण, मांग लेते हैं उनसे हम भी प्रमाण, जो मांगते सैनिक से प्रमाण, आपने भी किया था वादा, अब उसका तुम दो हिसाब, उठो जवानो मांग लेते हैं हम भी, इनके किए वादों का हिसाब, हम तो हर वक्त देते हैं प्रमाण, एक के बाद दूसरा, दूसरे के बाद तीसरा, और कई अनेकों दिए प्रमाण, पर शर्म है तो आप भी दे दो, अपने किए वादों का प्रमाण, याद नहीं है तो याद करो तुम, बेरोजगारी, सुशासन ,भूखमरी, किसानों की दयनीय हालात, बच्चों की शिक्षा, चाहे हो किसी पार्टी की सरकार, सब के सब विफल है, अपने किए वादों में असफल है, तो किस मुंह से मांगते हो, सैनिक से प्रमाण,  जो करते हैं देश सेवा अपार, उठो जवानो मांग लेते हैं उनके किए कराए का हिसाब। देश सेवा में सैनिक अविरल, देश सेवा के नाम इन्हीं से, देश भक्ति का नाम इन्हीं से, पर इनके कार्यों का तुम मांगते हो , हर वक्त प्रमाण, अब तो हमारी विनम्र निवेदन, जो की है आपने वादे, दे दो तुम  उसकी प्रमाण, जगो जवानों मांग लेते हैं, इनके की एक कार्यों का प्रम...

प्रमाण सैनिक का

सैनिकों ने किया विचार अब हम देंगे सब को प्रमाण युद्ध ऑपरेशन के हर एक्शन का, आतंकवादी ऑपरेशन, नक्सल ऑपरेशन, बाढ़ ,तूफान ,आग, प्राकृतिक आपदा, दंगा, और सुरक्षा गार्डों का, इसके अतिरिक्त अन्य ड्यूटीओं का, अब सैनिक देंगे चुन-चुन कर प्रमाण, सैनिकों के हर एक्शन का, बस थोड़ी सी है मांग हमारी, अपने देश की सरकारो से, कर दो नामित हर जगह एक नेता जी, ड्यूटी निश्चित कर दो उनकी, सैनिक के साथ चले, सैनिक जो करता है बस उसके साथ करे, तब प्रमाण की जरूरत ना होगी सैनिक  पर व्यापार न होगी, बस एक विनती सुनो हमारी, घोसड़ा कर दो युद्ध की हर एक सेक्शन के साथ नामित कर दो एक नेता जी, फिर कह दो उनको ले ले प्रमाण , साथ चले ,साथ रहे ,जितना जुटानी हो, जोड़ लें प्रमाण, इस कार्य के होने पर ही, देश मे  होगी सुधार,  फिर कभी ना उंगली उठेगी, देश की सेनाओं पर , बस इस विनती को लागू को, यह विनती हमारी।।।                                प्रेम प्रकाश पाण्डेय             ...

आदमी (स्वार्थी)

आदमी तुम कितना स्वार्थी हो निजी काम में निजी ध्यान में निजी आराम में  तूम मगन हो आदमी तुम स्वार्थी हो। स्वार्थ के चक्कर में इंसान स्वार्थी बन रह गया, मंदिर गुरुद्वारा मस्जिद चर्च सब स्वार्थ में बट गया। कुछ करता तो सोचता फायदा क्या है, कुछ नहीं करता तो सोचता आराम किया, करने नहीं करने में भी स्वार्थ छिपा है इसीलिए मैं कहता हूं, यह आदमी कितना स्वार्थी है माता-पिता ,पत्नी-पति प्रेमी-प्रेमिका, पुत्र-पिता भाई बहन की रिश्ता देखो स्वार्थ बिना अधूरा है, हर आदमी कितना स्वार्थी है। रोजगार का क्षेत्र भरा हुआ है, स्वार्थ के भंडार से, नौकरी-नौकर नौकरशाह रोजगार करते हैं स्वार्थ से, आप हम भी एक नौकर हैं, इसमें भी एक स्वार्थ है, इसीलिए हम कहते हैं, यह आदमी कितना स्वार्थी है। सुबह से शाम तक घड़ी चलती है, स्वार्थ के गोलार्ध पे हर काम मे सब लगे बस, स्वार्थ के प्रचार से, इसीलिए तो हम कहते हैं, आदमी तुम कितना स्वार्थी है। छोटा बड़ा सब को देखो, कोई नहीं है बिन स्वार्थ के, सबलोग करते काम , स्वार्थ के अनुसार से, हमको तो देख घुटन होता है, मानवता की अभिचार से, ...

भारत की जय कारे

 विश्व के लोगों देखो, भारत की ताकत को, पाकिस्तान को चित किया है एक बार फिर इतिहास में जीत दर्ज किया है देखो हमने 300 आतंकी मारे दुश्मन को फिर से ललकारे घर में घुसकर फिर से आतंकवाद को दी ललकारे देखो विश्व में कैसे भारत की, हो रही जय जयकारे।। देखो विश्व के लोगों देखो हमने दिया था साधुवाद दुश्मन को, वह समझा था नादानी पाल रहा था अपने घर में हाफिज अजहर विषधारी इस नादानी के कारण ही चीत हुआ फिर से पाकिस्तान सुनो विश्व के लोग भारत की जय जयकार हर क्षेत्र में भारत अपना परचम लहरा रहा पर पड़ोसी को तनिक न भा  रहा पाकिस्तान इसके लिए तू कितना नीचे गिरेगा। पर तुम सुन ले पाकिस्तान इस बार नहीं होगा इस बार अगर जो युद्ध हुआ तो अगले बार नहीं होगा विश्व पटल पर बस तुम तो इतिहास में लिखे जाओगे भारत ने तुम को जन्म दिया है, बस भारत में मिल जाओगे हमने स्वेत कबूतर अगणित बार उड़ाए हैं, अब तो देंगे गोली का उत्तर बम से। तुम जैसा करोगे उसके कई गुणा पाओगे। विश्व के लोगों देखो इस बार जंग हुआ तो,भारत में मिल जाओगे। विश्व के लोगों बोलो।। भारत की जय कारे।। भारत माता की ...

सोने के फायदे

सो कर देखो ,फायदा सोने का सोने पर हम स्वस्थ रहते हैं जग की हरकतों से दूर रहते हैं किसी से मतलब नहीं रखते हैं विवादों से हम दूर रहते हैं हम अपने में ही मगन रहते हैं दुनिया से नहीं कोई नाता मेरा अपने घर में हम व्यस्त रहते हैं डॉक्टर भी देते सलाह सोने का और करते उपचार सोने का औषध भी देते सोने का सोने के हैं अगणित फायदे इसीलिए तो हम  भी सोते हैं। आप भी सो कर देखो फायदे  सोने का घर के अंदर ही रहने का सुकून से जीने - मरने का दुनिया से दूर रहने का मतलब किसी से नहीं रखने का जरिया है यह सुन्दर रहने का सो जाओ,सो करके देखो। अच्छा है यह दुनिया से दूर रहने का सो कर देखो फायदे सोने का। धरती पर है जीवन ज्यादा उसमें भी है जीना आधा सो कर जिओ जग कर जिओ कुछ दिन तुलना करो जीने का समय व्यतीत कुछ दिन और करने का आनंद लो बाबू जीवन जीने का सो कर देखो फायदे सोने का जीव जंतु बहुत है धरा पर तुलना करो उनके जीवन का जो सोता सबसे है ज्यादा जीवन उसकी सबसे है ज्यादा जो अल्प सोता है अल्पायु में ही चल बसता है। इस लिए तुम हमको भी देखो , कुंभकरण सा मैं सोता हूं आविष्कार जी...

देश भक्त सैनिक

ऐसे नहीं देश के जवानों की पहचान अलग से होती है, जिनके रगों में हर वक्त बस्ती देश की भक्ति है, जो खाते-पीते हर समय में  देश भक्ति की रोटी है जो पहनते हर वक्त सुंदर वस्त्र तिरंगे की जिनकी जय घोष से गुजती सर्वत्र ब्रह्मांड में ज्योति है जो हरदम देश सेवा में अविचल शिखर की चोटी है अग्र पंक्ति में है रहते जैसे भीति के भांति है । ऐसे नहीं देश भक्ति सबसे आगे देश के जवान है। खून पसीना वो बहाते, स्वार्थ  हित  को त्याग कर सोचते कभी नहीं ,सुख-चैन भूख- प्यास को देश हित में ये करते सर्व कार्य अनुराग से कवच पहन यह चौकस रहते,अभय अजेय दृढ़ विश्वास है। ऐसे नहीं देश सेवा में सबसे आगे देश के सैनिक जवान है। अगला पंक्ति      देश सेवा तो सब करते है देश के विकास में सब रहते हैं दिन रात करते हैं कार्य बहुत यह सब हम मानते हैं परंतु सबको है मिलती वेतन यह सब जानते हैं इस तरह तो सैनिक को भी मिलती तुच्छ राशि भी है। पर अंतर बहुत है आप और हम में आप जहां ना जाना चाहते, हम तत्पर वहीं पर रहते। तुम तो डरते हो मरने से और हम मरने से डरते नहीं। इसीलिए तो हम कहते...

उम्मस

कुछ लोग अक्सर है जग में, जिनको आता जाता कुछ नहीं करना क्या है पता नहीं पर हर वक्त रहते हैं व्यस्त। भ्रम पालते हैं मन में। करते दिखावा खूब जग में घूमते हैं खूब बन ठन के है जितना उससे भी ज्यादा, करते अपनी खूब बड़ाई, पीछे कभी न रहते मन से कुछ लोग भी ऐसे जग में, काम तो सुंदर है  इनकी यह इनके मन की बातें है करते गुणगान ये हर दम अपनी जोड़ गांठ लगाकर मीठी बातों में ये रखते सबको वर्गला कर, धमकी इनकी कुत्ते जैसी चतुराई में लगते लोमड़ी। बिल्ली जैसी आँखे इनकी। बातें कौवा जैसी है। खाने में तो बंदर है ये खूब कूद कूद कर खाते हैं कुछ है जग प्राणी ऐसे सिर्फ अपना गुण गाते हैं। माफ करना भाई बहनों  तीनों अंतरा गलत लिखा , पर ये मेरे अपने हैं जो गैर है वो गैर हैं यह कविता मेरे अपने पर है।                          प्रेम प्रकाश पाण्डेय                          

मातृ शक्ति उद्घोष

हम हर समाज से वंचित हैं हम हर समाज में वर्जित हैं हम हर समाज में घृणित हैं हम समाज में असहाय है। क्योंकि हम लड़ते नहीं, हम मरते नहीं ,अपने हक के लिए उद्घोष हमारा है इस बार समाज में इज्जत पाने को, हर जगह बराबर चाहिए, समाज में वर्चस्व बढ़ाने को। सहा हमने जुर्म अनेकों अब ना सहेंगे अब तो हर जगह आधा चाहिए जुर्म से हम लड़ेंगे। वंचित वर्जित शब्द से, दूर-दूर तक, नाता नहीं हमारी, उद्घोष हमारीअब से, 50 प्रतिशत हमारी। हर क्षेत्र में जब हम भी, कार्य करते हैं पूरा, तो हम किस कारण, समाज में है अधूरा। हमको भी अब हक चाहिए समाज में रहने बोलने का, उठो बहनों अब जगना होगा, दुष्टों से अब लड़ना होगा, हर जगह अब रहना होगा, हर जगह अब रहना होगा।                        प्रेम प्रकाश पाण्डेय                        94693 94375

अतिथि

एक दिन खुशी हमारे घर आई, मन में खुशहाली आई, घर में खुशहाली आई, भावना अचानक बदल गई, गम पर एक बादल छाए। मनोभाव फिर बदल गई नव किरणों का संचार हुआ। एक दिन जब खुशी हमारे घर आई।                     सोया था अचानक जब आवाज आई                     फिर दिखा इधर उधर उठ कर                     गम के नींद  फिर खुल गई                     फिर थोड़ा ताजा हुए                     जब खुशी हमारे घर आई। बाहर निकला संसार में, तरह तरह कई तरह की बातें हुई संसार में जब भावना में बहने लगे संसार अकेला छोड़ गया, एक दिन जब खुशी हमारेआई।                    जब खुश हुआ खुशी देख कर                    कुछ लोगों ने भी खुशियां मनाई      ...

गिरने की हद

लोग कितना गिर जाते हैं। इसकी कोई सीमा नहीं गिर इतना जाते हैं की  हद अपना  भूल जाते हैं फैलाते हैं अफवाह देखिए दिन को रात बताते हैं झूठी खबर को दिन- रात मिला जुला कर चलाते हैं लोग कितना गिर जाते हैं। ऐसी मीठी बातें  इनकी लोग तुरंत विश्वास कर जाते हैं झूठ को सत्य साबित करने में यह सफल हो जाते हैं लोग कितना गिर जाते हैं। बिक जाते हैं ये बिक जाती है इनकी ईमान मिलकर सब बिक जाते हैं लोग कितना गिर जाते हैं। देश की जनता को यह मूर्ख समझ जाते हैं। झूठ बोलते हैं दिनभर जैसे बचपन में अक्सर हम सब कर जाते हैं, लोग कितना गिर जाते हैं। शर्म करो थोड़ा सा हो तो मत फैलाओ ज़हर समाज में, गिरने का ही शौक है तुमको तू गिरो उस झरने जैसे। जो गिरता है पहाड़ से पर लोग होते है आनंदित। बस शर्म करो थोड़ा सा है तो।। बस शर्म करो थोड़ा सा है तो।।                                  प्रेम प्रकाश पाण्डेय                         ...

नारी शक्ति

नारी शक्ति आज की शक्ति , नारी शक्ति ही असली शक्ति,  नारी शब्द में है समाहित , ममता मृदुलता मातृत्व और मानवता,  नारी शक्ति के कारण ही। सृष्टि का उत्थान हुआ, सुख शांति सहृदयात का संस्कार हुआ। नारी शक्ति से है बनती, श्रेष्ठता विशिष्टता सिद्धि प्रसिद्धि, सहजता सहनशीलता बुलंद इरादा, नारी शक्ति ही आज की शक्ति। राजनीति कौशल कला विज्ञान का क्षेत्र, नारी बिना अधूरी है पुरुषों से कंधा मिलाकर, अब चलना जरूरी है। हर क्षेत्र में नारी की उपस्थिति पूरी है। संयुक्त राष्ट्र संघ लोकसभा राज्य सभा और राज्यो की विधानसभा एवं पंचायत। हर जगह अपनी प्रतिशत पूरी है।  नारी शक्ति आज की शक्ति नारी शक्ति है असली शक्ति।। परंतु कुछ समाज विरोधी  नारी का अपमान कर जाते हैं। भ्रूण हत्या दहेज हत्या एसिड हमला जैसे निकृष्ट कार्य कर जाते हैं! इस कुटिल समस्या से लड़ने को एक हो भारत की नारी, भारत ही नहीं अपितु विश्व की नारी हम सब मिलकर कुछ ऐसा कर जाएंगे, पुरुष समाज को नारी समाज में बदल कर दिखलाएंगे, एकजुट हो नारी शक्ति, अपना मान बढ़ाएंगे, कलयुग में खोए सम्मान को, सत्य युग जै...

जंग

इस बार जंग में छोड़ो मुझे बस करने दो मनमानी विश्व पटल पर चित किया फिर हमने पाकिस्तानी। जो  करता था हर दम मनमानी। इस बार जंग में छोड़ो मुझे बस करने दो अपनी मनमानी। है खून मुझ में भी अभिनंदन का, पाक पर फतेह करने का, पाकिस्तान को मुकि खिलानी, विश्व मंच पर फिर से हैं उसको नाच नचानी, इस बार फिर से करने दो अपनी मनमानी। पाकिस्तान तेरी औकात ही क्या जो पैदा हम ही से हुआ माफ किया तुमको अगणित जब तक यह संभव था अब तो होगी आर पार भारत की इतिहास दुहरानी है। इस बार फिर से छोड़ हमें  पाकिस्तान पर विजय तिरंगा लहरानी हैं। इस बार जंग में छोड़ो हमें नई इतिहास लिखावानी है युद्ध में जो विजय था। वह फिर से दुहरानी है, इस बार जंग में छोड़ो हमें इस बार जंग में छोड़ो हमें।।                                प्रेम प्रकाश पाण्डेय                                  

सैनिक की अभिलाषा

मत रोक मुझे इस पार सरहद पार जाने दो। थामे हाथों मे जो  तिरंगा, कराची इस्लामाबाद लाहौर में लहराने दो। मत रोक मुझे इस पार सरहद पार जाने दो।। थामें हाथों में जो कफन है उसे दुश्मन को पहनाने दो देश की गरिमा मई इतिहास को अपने हाथ से सजाने दो  मत रोक मुझे इस पार सरहद पार जाने दो। देश की है स्वर्णिम इतिहास अंक उसमें और जोड़ जाने दो 65 ,71 ,99 के बाद एक और अध्याय लिख जाने दो। मत रोक मुझे इस पार सरहद पार जाने दो।।।                           प्रेम प्रकाश पाण्डेय